ख़ामोश इश्क़

कुछ इश्क़ ऐसे होते हैं,जो कहे नहीं जाते…बस जिए जाते हैं।ये कहानी भी उसी इश्क़ की है —एक ऐसे प्यार की,जो शोर नहीं करता,पर दिल के हर कोने मेंधीमे-धीमे गूंजता रहता है।वो ज़्यादा बोलने वाला लड़का नहीं था।लोग उसे अक्सर ख़ामोश, अलग-सा,या फिर अपने ही ख्यालों में डूबा हुआ समझते थे।लेकिन किसी ने ये नहीं सोचाकि जो आदमी कम बोलता है,उसके अंदर शब्दों का सैलाब भी हो सकता है।उसकी ख़ामोशीकमज़ोरी नहीं थी…वो उसकी आदत थी,उसकी पहचान थी।वो अक्सर अकेले बैठकरआसमान को देखता था।सितारों से बात करता,हवा से सवाल पूछता,और खुद से जवाब छुपा लेता।क्योंकि उसे पता था —कुछ जवाबकिसी से