पुस्तकों की दुनिया मानो स्वर्ग धरा पर हो उतरा

पुस्तकों की दुनिया मानो स्वर्ग धरा पर हो उतरा  -------------------------------------------   वह समाज और संस्कृति स्वस्थ मानी जाती है जिसमें पुस्तकें और उन्हें पढ़ने वालों में होड़ रहती है। पाठक रोचक, मनभावन आख्यान,काव्य,व्यंग्य पढ़ता जाता है और अगली की बाट जोहता जाता है। अगली पुस्तक उससे भी बेहतरीन और नई जमीन की होती है तो आनंद और बढ़ जाता है। पुस्तकें आनंद ही नहीं देती बल्कि जीवन में आगे बढ़ने के वह अदृश्य पंख देती हैं जो ईश्वर ने हम सभी के लिए भेजें हैं। पर उन्हें वहीं पाते हैं जो पुस्तकों और साहित्य की वैतरणी उतरने का जज्बा रखते