उस सड़क के बारे में गांव के बुजुर्ग कहते थे कि सूरज ढलने के बाद वह रास्ता किसी और ही दुनिया में चला जाता है। जो वहां गया वह लौटा जरूर है पर पहले जैसा कभी नहीं रहा। उसी सड़क पर उस रात चार दोस्तों की हंसी गूंज रही थी और उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि कुछ ही पलों में उनकी हंसी डर की चीखों में बदलने वाली है।पुराने गांव की उस विचित्र सड़क पर अजय अपनी पुरानी गाड़ी चला रहा था। सड़क कच्ची थी, दोनों तरफ ऊंचे पेड़ थे जिनकी शाखाएं आपस में उलझकर आसमान को ढक रही