मोहब्बत के वो दिन - 4

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सुबह की रोशनी खिड़की से कमरे में फैल रही थी। Bikash की आँख खुली तो सबसे पहले कल की हर बात याद आ गई—लिफ्ट में फँसा वो पल, Maina की नम आँखें, उसका हाथ थामना, और रात की लंबी फोन कॉल।दिल अजीब तरह से हल्का भी था और भरा हुआ भी।वो बिस्तर से उठा, मेज़ पर रखी अपनी डायरी पर नज़र पड़ी।वही डायरी जिसमें उसने कभी सपनों की बातें लिखी थीं, कभी डर, और अब… Maina।उसने डायरी उठाई, कुछ पन्ने पलटे और मुस्कुरा दिया।फिर अचानक ठिठक गया—"अगर ये किसी के हाथ लग गई तो?"वो जल्दी से डायरी बैग में रखकर