PART — 5 : final part कॉलेज कैंटीन में वो पल जहाँ माहीं टूटकर सवाल पूछ रही थी—और सूरज पहली बार मजबूत, खड़ा, और स्पष्ट दिखाई दे रहा था…वहीं से कहानी ने नया मोड़ लिया था।लेकिन किस्मत अभी पूरी तरह शांत नहीं हुई थी।कुछ दिन बीत गए…सूरज अपनी नई ज़िंदगी में एक अलग रफ्तार पा चुका था।उसकी दिनचर्या अब Stable थी—जिम, क्लास, स्टडी, और कभी-कभी आद्या संग शांत बातें।पर एक शाम…जब सूरज लाइब्रेरी से बाहर आया,उसका सामना किसी ऐसे इंसान से हुआ जिसे देखकरउसकी आँखें नहीं… उसका अतीत काँप गया।वो सामने था — सचिन।चेहरा थका हुआ, आँखें खाली, कपड़े ब्रांडेड