मैं बिखरा नहीं......बस बदल गया - 3

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‎ PART — 3 : ‎‎माहीं की आंखों में डर था…‎वो पहले वाली माहीं नहीं थी —‎जो हँसती थी, खिलखिलाती थी, खुद को हसीन समझती थी।‎‎आज वो असुरक्षित थी… टूटी हुई… और सबसे बड़ी बात —‎पछताई हुई।‎‎सूरज चुपचाप उसे देख रहा था।‎दिल में तूफ़ान था, पर आवाज़ शांत।‎‎"क्या हुआ, माहीं?"‎उसने धीमे लेकिन सख्त लहजे में पूछा।‎‎माहीं ने होंठ दबाए, फिर बोल पड़ी—‎‎“सचिन… वो वैसा नहीं था जैसा मैंने समझा था।”‎‎सूरज ने हल्की मुस्कान दी, लेकिन वो दर्द भरी थी।‎‎"तो अब तुम वापस उस इंसान के पास आई हो…‎जिसे तुमने पैसों के लिए छोड़ दिया…?"‎‎माहीं रोने लगी।‎‎"सूरज, प्लीज़… मुझे सुनो। मैंने सचिन