दिन ढल रहा था और महल की ओर जाने वाले मार्ग पर हल्की धूप बिखरी हुई थी। तभी समाचार आया कि राज्य के द्वार पर एक अजीबोगरीब भिखारी पड़ा है, जिसकी दशा अत्यंत दयनीय है। यह सुनते ही राजा का हृदय विचलित हो उठा। वे नंगे पाँव ही सिंहासन से उठ खड़े हुए और तेज़ी से भागते हुए द्वार तक पहुँचे।जैसे ही उनकी नज़र उस भिखारी पर पड़ी, वे स्तब्ध रह गए। उसके कपड़े चिथड़ों में बदल चुके थे, शरीर पर जगह-जगह बड़े-बड़े फोड़े-फुंसियाँ थीं, जिनसे मवाद टपक रहा था। दुर्गंध से चारों ओर वातावरण दूषित हो रहा था। उसका