नीहा को शहर में नई नौकरी मिल गई थी। कंपनी ने उसे एक सुंदर-सा फ्लैट भी दे दिया था। सबसे बड़ी सुविधा थी— सोनिना, वह घरेलू सहायिका जिसके बारे में बताया गया था कि कंपनी ने ही उसे भेजा है। हमेशा शांत, गंभीर आँखों वाली, वह घर का हर काम संभाल लेती थी। नीहा थकी-हारी लौटती तो खाना गर्म मिलता और घर चमकता हुआ रहता। धीरे-धीरे सोनिना नीहा की ज़िंदगी का हिस्सा बनती चली गई… या शायद नीहा ऐसा ही समझती थी। एक अनोखी मुलाकातएक दिन नीहा की माँ और भाई गाँव से उससे मिलने आए। घर देखकर भाई ने