तुम चाहते थे मैं दूर चली जाऊं ।जा रही हूं कभी न वापस आने के लिए , जिंदा लाश आखिर कब तक सांस ले । जो तुमने मुझे बना रखा था।कोई बात नहीं है, तुम्हारी जिंदगी थी उसपे मेरा कोई हक नहीं था। हक होता तो क्या तुम मुझे रोने देते ?नहीं नहीं आज कोई शिकायत नहीं है।नया नया तुम्हारा रिश्ता है बहुत खुश होंगे न तुम ।तुम्हारी खुशियों को किसी की नजर न लगे कुछ महीने तक , फिर वो शख्स तुम्हारे साथ वही खेल खेले जो तुमने मेरे साथ खेल रहा था ।वहीं दर्द तुझे भी मिले जो