Pahli Baar..... Tum - Part 3

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उन दोनों की बातों को अब हफ़्ते भर हो चुका था।हर दिन के छोटे-छोटे पलजैसे एक-दूसरे को चुपचाप करीब ला रहे थे—बिना किसी वादा, बिना किसी इज़हार के।लड़की खुद को बदलते हुए महसूस कर रही थी।अब वो लाइब्रेरी में जाते हीपहले उसे ढूंढती, खुद को नहीं।कैंटीन के शोर में भीउसे बस उसकी आवाज़ सुनाई देती।क्लास में notes बनाते समय भीउसके दिमाग में वही बैठा रहता—उसकी हल्की-सी मुस्कान,वो गहरी आँखें,और वो सुकून भरी बात—“Tum perfect nahi ho… par tum khoobsurat ho.”ये शब्द जैसे उसकी रगों में उतर गए थे।शायद पहली बार किसी ने उसके अंदर की लड़की को देखा था,ना कि