(इम्तिहान, इज़्ज़त और एक बड़ा फैसला)अस्पताल के कमरे में फैली खामोशी अब भारी हो चली थी।रोहित के जाने के बाद अन्या का दिल ज़ोर–ज़ोर से धड़क रहा था।आदित्य शांत था… लेकिन उसकी आँखों में तूफ़ान था।यश खिड़की के पास खड़ा था,चेहरा सख्त, पर सोच में डूबा हुआ।पापा ने थकी आवाज़ में कहा“अब ये लड़ाई आसान नहीं रहेगी।”---रोहित की पहली चालअगले ही दिन खबर फैल गई—रोहित मल्होत्रा ने अन्या के रिश्ते की बातशहर के बड़े लोगों तक पहुँचा दी थी।“मल्होत्रा परिवार की बेटीएक बोल न पाने वाले लड़के से रिश्ता जोड़ना चाहती है।”बातें तीर की तरह चलने लगीं।सोशल सर्कल, रिश्तेदार, बिज़नेस