मैं बिखरा नहीं......बस बदल गया - 2

  • 387
  • 171

‎ PART — 2 :‎‎‎रात बहुत लंबी थी…‎पर उस रात सूरज सो नहीं पाया।‎उसके कमरे में अंधेरा था, पर उसके अंदर उससे भी गहरा अंधेरा था।‎‎ उसकी आंखें रो-रो कर सूज चुकी थीं।‎ सांसें भारी थीं।‎ दिल बिखर चुका था।‎‎"सब खत्म हो गया…"‎उसने खुद से कहा।‎‎लेकिन अंदर कहीं एक सवाल बार-बार जल रहा था—‎‎ "मैंने उसका क्या बिगाड़ा था…?"‎‎️ दर्द का दूसरा दिन…‎सुबह हुई, लेकिन सूरज के अंदर अब भी रात थी।‎कॉलेज जाना, लोगों से मिलना, हंसना—सब अब बोझ लग रहा था।‎‎फिर भी वो कॉलेज गया…‎क्योंकि शायद उसका दिल अभी भी उम्मीद में था कि माहीं उससे मिलेगी… सब ठीक