PART — 2 :रात बहुत लंबी थी…पर उस रात सूरज सो नहीं पाया।उसके कमरे में अंधेरा था, पर उसके अंदर उससे भी गहरा अंधेरा था। उसकी आंखें रो-रो कर सूज चुकी थीं। सांसें भारी थीं। दिल बिखर चुका था।"सब खत्म हो गया…"उसने खुद से कहा।लेकिन अंदर कहीं एक सवाल बार-बार जल रहा था— "मैंने उसका क्या बिगाड़ा था…?"️ दर्द का दूसरा दिन…सुबह हुई, लेकिन सूरज के अंदर अब भी रात थी।कॉलेज जाना, लोगों से मिलना, हंसना—सब अब बोझ लग रहा था।फिर भी वो कॉलेज गया…क्योंकि शायद उसका दिल अभी भी उम्मीद में था कि माहीं उससे मिलेगी… सब ठीक