रात के दो बज रहे थे। शहर गहरी नींद में था… पर अनाया की पलकों पर नींद तो जैसे महीनों से आई ही नहीं थी।खिड़की के पास बैठकर वो फोन की स्क्रीन ताक रही थी, जहाँ पिछली चैट पर सिर्फ़ एक आख़िरी मैसेज चमक रहा था।“I’ll text you in a while… बस थोड़ा काम है।”आंखों में बेतहाशा आंसू भरे हुए थे।और फिर आरव गायब हो गया।बहुत दूर… उतना ही दूर जितना उनका लॉन्ग-डिस्टेंस रिश्ता था।अनाया ने धीरे से खुद से कहा,"एक ‘while’ में कितने दिन होते हैं, आरव?"उसकी आँखें लाल थीं नींद से नहीं, इंतज़ार से।वो जानती थी कि दूसरा