सिय्या मुंबई की भीड़ में भी अकेली सी चल रही थी। हाथ में फाइल, चेहरे पर हल्की थकान और दिल में हज़ार सवाल।नौकरी का पहला दिन था… और हमेशा की तरह उसे देर हो चुकी थी।भागते-भागते जब उसने बस पकड़ने की कोशिश की तो पैर फिसल गया। गिरते-गिरते एक कसकर पकड़ने वाले हाथ ने उसे संभाल लिया।“सावधान… दुनिया तो पहले ही खतरनाक है, तुम खुद को और मुश्किल में मत डाला करो,” उस अनजान लड़के ने मुस्कुरा कर कहा।सिय्या ने पहली बार गौर से उसे देखा—गहरी आँखें, हल्की दाढ़ी और चेहरे पर कुछ ऐसा शांत भाव जिसे देखकर ही डर