धुन इश्क़ की... पर दर्द भरी - 59 (अंतिम भाग)

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एक महीने बाद:मेहता हाउस पूरी तरह से सजा हुआ था। चांदनी रात में चारो तरफ रोशनी ही रोशनी, और फूलों की सजावट से अलग ही सौंदर्य निखर रहा था। अंदर हॉल के बीचों बीच में मंडप लगा हुआ था, और चारो तरफ लोगो की चहल पहल थी। तभी सामने से गोपाल जी और राजीव जी बातें करते हुए आते है।गोपाल जी - सब कुछ अच्छे से हो जाए बस! राजीव जी - आप चिंता क्यों करते है गोपाल जी, सब अच्छा होगा! गोपाल जी - क्या करूं, लड़की का पिता हुं ना!राजीव जी - अरे, वो ज़माना गया जब लड़की के पिता होना