हेडक्वार्टर्स और एक अनकही सच्चाई :-दो कदम फर्ज़ के, दो कदम परिवार केसुबह की हवा थोड़ी भारी थी।आयुष आज यूनिफॉर्म में था—कमांडो बूट, प्रेस की हुई ओलिव-ग्रीन शर्ट, चमकते मेडल…पर उसके अंदर का मन भारी था।आज उसे फैसला सुनाना था—और फौज में फैसले सिर्फ दिए नहीं जाते…जिए जाते हैं।---सुबह 9:20 — ARMY HEADQUARTERSगेट पार करते हीउसे वही पुरानी गंध मिली—पॉलिश किए हुए बूटों की,फाइलों की,और जिम्मेदारी की।सैनिकों ने उसे सैल्यूट किया।आयुष ने भी सैल्यूट वापस किया,लेकिन उसके दिल में एक ही तस्वीर थी—जिया और आर्या की।कमांडिंग ऑफिसर,ब्रिगेडियर सिंह,टेबल के पीछे गंभीर मुद्रा में बैठे थे।“Come in, Major Thakur.”आयुष अंदर गया,“Sir.”---ऑफिस