हम फिर से मिले मगर इस तरह - 10

हम फिर से मिले मगर इस तरह{ऐपिसोड़ - 10}अरुण अपने ख्यालो मे ही था कि रूपाली ने उसे झझोड़ा तो वह ख्यालो से बाहर आया, तुम मेरी बात सुन भी रहे थे या मै ही पागल हूँ जो बोले जा रही हूं तुम्हे कोई फर्क पड़ता है मेरी बातो का,,रूपाली ने फिर उसे गुस्से से सुनाया.अरुण जो अपने आप को यू रूपाली की बढ़ने से रोकना चाहता था, तो वह रूपाली के बात का जवाब गुस्से से देता है .हां मेरी मां मे सब सून रहा हूं जो भी तुम कहे रही हो, वैल तुम पहले ही सही थी यार,