अंधेरी भूख️ लेखक: राज फुलवरे ---अध्याय 1 — काला घाट का नामोनिशानसंजय, शहर का साधारण लेकिन मेहनती आदमी।उसका टूर्स एंड ट्रेवल्स का काम लोगों की तरह छोटा नहीं था—वह हर ग्राहक को सम्मान से ले जाता था।लोग उसे भरोसे का ड्राइवर मानते थे।लेकिन शहर के नक्शे पर एक जगह ऐसी थी जहाँ लोग पैदल भी नहीं जाते थे—काला घाट का जंगल।लोग कहते थे—> “वहाँ अंधेरा खुद ज़िंदा है।”“वहाँ पेड़ हवा में नहीं… किसी और की साँसों से हिलते हैं।”“वहाँ रात नहीं, मौत उतरती है।”“वहाँ आत्माएँ रहती हैं, जो इंसानों को रास्ता नहीं… मौत देती हैं।”संजय इन बातों पर हँसता था।वह आधुनिक