रात का राजा - भाग 3

रात का राजा भाग 3लेखक: राज फुलवरेअध्याय पाँच — उपहास और चुनौतीसूरज डूब चुका था.महल की ऊँची मीनारों पर कबूतर लौट चुके थे और दीपों की पंक्तियाँ जलने लगी थीं.चाँदनी धीरे- धीरे आँगन में फैल रही थी, और जैसे- जैसे रात गहराती जा रही थी, राजा वीरेंद्र सिंह की आँखों में भी रोशनी लौट रही थी.दरबार में उस रात फिर सभा बुलाई गई थी.राजा ने घोषणा की थी —>“ आज से आरव, इस राज्य के अतिथि के रूप में मेरे उपचार का उत्तरदायित्व संभालेगा।जैसे ही यह बात फैली, दरबारियों में कानाफूसी शुरू हो गई.>“ सत्रह साल का लडका राजा का