उदावीर पूरी रात जागता रहा. उसने गांव के चौक में एक पुरानी मिट्टी की रेखा खींची और उसके चारों कोनों पर दीपक रखे. यह रेखा गांव की रक्षा के लिए थी, लेकिन वह खुद जानता था कि Salmon इतनी आसान सीमाओं में नहीं बंधेगा. रात बढ़ने लगी और हवा में धुंध भरने लगी. गांव वाले अपने घरों में छिपे थे. हर खिड़की बंद थी, फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे कोई भीतर झांक रहा हो. दीवारों पर हल्की खटखटाहट हो रही थी, जैसे बच्चे नाखून घिसकर खेल रहे हों.उदावीर रघु के घर की तरफ बढ़ा. वहां पहुंचते ही जमीन