रात का राजा भाग 2लेखक: राज फुलवरेअध्याय तीन — अमृतधारा का रहस्यरात घनी हो चली थी.बादलों के बीच से निकलती बिजली की रेखाएँ जंगल को क्षणभर के लिए रोशन कर जातीं,और फिर सब कुछ पुनः अंधकार में डूब जाता.मगर उस अंधेरे में एक मशाल टिमटिमा रही थी —वह था आरव, जो जंगल की गहराइयों में,राजा वीरेंद्र सिंह की आँखों का उजाला ढूँढने निकला था.अमृतधारा की खोजसाधु के बताए दिशा में चलते हुए आरव की सांसें भारी हो चली थीं.रास्ता पथरीला था, काई से ढका हुआ, और चारों ओर जंगली आवाजें गूंज रही थीं.कभी पेडों की शाखाओं पर उल्लू चिल्लाता,तो कभी