गांव में उस रात अजीब सन्नाटा था. हवा बिना वजह ठंडी हो गई थी और घरों के किवाड़ ऐसे चरमरा रहे थे जैसे किसी अदृश्य हाथ ने उन्हें छुआ हो. उसी शाम गांव के किनारे रहने वाला रघु अपने परिवार के साथ खाना खा रहा था. उसकी पत्नी लाजो बार बार दरवाजे की तरफ देख रही थी. उसे लगता था कि बाहर कोई खड़ा है. पर खुली आंखों से कुछ दिखाई नहीं देता था, सिर्फ अंधेरा. रघु ने उसे समझाया कि यह उसके मन का भ्रम है, लेकिन वह खुद भी एक अनजानी बेचैनी महसूस कर रहा था.रात गहरी होते ही