बेजुबान इश्क - 4

पहला इज़हार-ए-प्यार और जिंदगी का नया मोड़ मुंबई की रात हमेशा से शोर भरी मानी जाती है,पर उस रात…स्टेशन पर सिर्फ दो दिलों की धड़कनें सुनाई दे रही थीं।आदित्य और अन्या एक-दूसरे को थामे खड़े थे—एक साल का दर्द, इंतज़ार, तड़पउस एक पल में पिघल कर आँखों से बह रहा था।अन्या ने आदित्य की बाहों से अलग होकरधीरे से उसका चेहरा अपने हाथों में लिया—“कितना इंतज़ार करवाया तुमने…”उसकी आवाज़ काँप रही थी।आदित्य ने हल्की मुस्कान दीऔर सांकेतिक भाषा में कहा—“किसी का इंतज़ार हमेशा की तरह खूबसूरत बना देता है।”अन्या ने उसकी उंगलियाँ पकड़ लीं—“आज अगर तुम कुछ कहोगे नहीं…तो मैं