वो बारिश वाली शाम उनके रिश्ते मेंएक खूबसूरत शुरुआत छोड़ गई थी।अगले कुछ दिनों मेंआदित्य और अन्या का साथ और भी गहरा हो गया।जहाँ पहले नज़रें मिलती थीं,अब मुस्कुराहटें मिलती थीं।जहाँ पहले खामोशी बोलती थी,अब दिल बोलने लगा था।---लेकिन जिंदगी हमेशा आसान नहीं होती…एक दिन अन्या लोकल में नहीं आई।फिर दूसरा दिन…फिर तीसरा।आदित्य फिर वही बेचैनी, वही डर,वही खालीपन महसूस करने लगा।उसने हर कोच, हर स्टेशन पर खोजा,जैसे उसके बिना शहर में कुछ भी नहीं बचा था।चौथे दिन,अन्या आखिरकार आई।लेकिन इस बार वो पहले जैसी नहीं थी—चेहरा फिका, आंखें सूजी हुई,उसके हाथ काँप रहे थे।आदित्य तुरंत उसके पास गया—“अन्या,