रुखसाना ने अन्वेषा की तरफ इशारा किया और बोली -“अगर तुम्हें उसे बचाना है, तो एक सौगंध खानी होगी।”“कैसी सौगंध?” अपूर्व की साँसें थम गईं।“तुम उस दरवाज़े को खोलोगे, जिसके पीछे मुझे दफ़न किया गया। तुम मेरी मौत की पूरी सच्चाई दुनिया को बताओगे। तुम वो इतिहास उजागर करोगे, जो हवेली में आज भी दफन हैं… और जब तक वो पूरा सच सामने नहीं आता… तुम यहाँ से बाहर नहीं जा पाओगे… न तुम… न वो।” अपूर्व बुदबुदाया,“मैं वादा करता हूँ…” “मैं सब करूंगा… बस अन्वेषा को कुछ मत होने देना।”रुखसाना की आँखें कुछ पल के लिए नरम हुईं।अपूर्व फिर बोला - “उसने तुम्हारा प्यार नहीं