काला घोड़ा - रहस्य का दरवाज़ा - भाग 2

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काला घोड़ा — रहस्य का दरवाज़ा (भाग 2)लेखक – राज फुलवरेअंदर का रहस्यलिली जैसे ही नीली रोशनी वाले प्राचीन दरवाज़े के पास पहुँची, उसके भीतर एक हल्का कंपन दौड़ गया।दरवाज़ा खुद-ब-खुद धीमी गुर्राहट के साथ खुला—और भीतर बैठा हुआ एक विशाल, चमकती शल्कों वाला साँप प्रकट हुआ।उसकी आँखें अंगारों की तरह चमक उठीं।उसकी आवाज़ गहरी, भारी, और कहीं दूर गूँजती हुई जैसी थी—“बहुत देर से तुम्हारा इंतज़ार था…आओ, पास आओ… मत डरना।मैं तुम्हारे अतीत का रक्षक हूँ।यह मणि छू लो…तुम्हें तुम्हारा पिछला जन्म याद आ जाएगा…”लिली का गला सूख गया, दिल तेजी से धड़क रहा था।वह काँपते हाथ से आगे