प्रस्तावनाएक तरफ़ा इश्क़…वह प्रेम जो पूरा नहीं होता, फिर भी सबसे गहरा होता है।जो दिल में बसता है पर होंठों तक नहीं आता।जो किसी की आँखों में चमक ढूँढता है, लेकिन अपना अक्स नहीं पाता।जो ख़ामोशी में खिलता है और तन्हाई में रोकर भी मुस्कुराता है।यह कविता-संग्रह उसी दर्द, उसी मिठास और उसी अदृश्य रिश्ते का रूप है—जहाँ इश्क़ एक स्वीकार है, पर इज़हार नहीं।जहाँ उम्मीद टूट कर भी परछाईं की तरह साथ चलती रहती है।जहाँ दिल का हर टुकड़ा एक नयी कविता बन जाता है।इन 30 कविताओं में एकतरफ़ा प्रेम के अलग-अलग रंग हैं—कहीं इंतज़ार का धुआँ है, कहीं