सुरेश डाकू इश्क में तबाही एक सच्ची प्रेम कहानी

नीला ने धीरे-धीरे सुरेश की तस्वीर को अपने हाथों में थामते हुए आंसू पोंछे। उसकी आंखों में यादों का तूफ़ान उमड़ रहा था। सफेद साड़ी उसकी शारीरिक भव्यता के साथ-साथ उसकी पीड़ा को और गहरा दिखा रही थी। रेणुका उसकी भतीजी, बैठी हुई, नीरवता से उसकी हर हलचल देख रही थी।नीला अपनी भतीजी रेणुका की आँखों में देखते हुए धीरे-धीरे बोली, रेणुका, सुरेश मरे नहीं हैं। भले ही दुनिया कहे कि वह हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनके प्रेम की अमरता, उनका सच्चा समर्पण… यह हमेशा जीवित रहेगा। मेरे लिए वह हमेशा ईमानदार और सच्चे रहे। भले वह डकैत थे,