काली छाया

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 1 – अँधेरे की पहली आहटपहाड़ों के नीचे बसे छोटे से कस्बे भीमरपुर में, 16 वर्षीय रिया रहती थी—एक शांत, कम बोलने वाली, लेकिन भीतर से बेहद संवेदनशील लड़की।उसकी आँखों में हमेशा एक गहरी उदासी झलकती थी, जैसे किसी ने उन आँखों से बचपन ही छीन लिया हो।लोग कहते थे—“रिया के साथ कुछ तो है… हमेशा अकेली, हमेशा खामोश… जैसे किसी ‘काली छाया’ का बोझ उठाए हो।”लेकिन किसी को नहीं पता था कि असल “काली छाया” उसके बाहर नहीं, उसके भीतर थी।एक ऐसी छाया जो उसे रातों में जगाती,दिन में डराती,और उसके सपनों को तोड़कर उसे खाली कर देती।भाग 2