गोवा की रात में, "द अनडिवाइडेड" का अंडरग्राउंड बंकर नीली और हरी नियॉन रोशनी से भरा हुआ था। हवा में जलते प्लास्टिक, मशीन ऑयल और पुरानी सर्किट्री की गंध तैर रही थी। उनके सामने खड़ा था एक विशाल पुरुष रोबोट—SID-A.02, जिसे सिद्धि ने एक नाम दिया था: “आदर्श”।उसकी काली, शून्य जैसी आँखें किसी भी इंसान की रीढ़ में कंपकंपी डाल सकती थीं।दीवारों पर हजारों खाली रोबोटिक फ्रेम लटके थे—जैसे मौत का इंतज़ार कर रहे सैनिकों की एक फ़ौज।स्पीकर से सिद्धि की आवाज़ गूँजी—“आर्यन… तुम्हारी ‘मुक्त इच्छा’ तुम्हें यहाँ लाई है। अब सामना करो लवबाइट के पहले पुरुष प्रोटोटाइप से।”'आदर्श' मशीन-सी