‎तेरा नाम आख़िरी साँस तक

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‎“तेरा नाम आख़िरी साँस तक” ️‎ ‎️बारिश की वो दोपहर‎वो अक्टूबर की दोपहर थी। आसमान में बादल ऐसे घूम रहे थे जैसे किसी ने सारे दुख वहीं जमा कर दिए हों। कॉलेज की घंटी बज चुकी थी, बच्चे अपने-अपने ग्रुप्स में हँसते-बोलते निकल रहे थे। लेकिन एक लड़का, आरव, चुपचाप अपने पुराने बैग को कंधे पर लटकाए, बालकनी  के कोने में बैठा बारिश को देख रहा था।‍️‎‎आरव गरीब था — बहुत गरीब। पिता खेतों में मजदूरी करते थे और माँ गाँव में बीमार पड़ी थी। वो शहर में किराये के कमरे में रहता था, खुद खाना बनाता था, और कॉलेज की