तुम मेरे हो

कॉलेज का पहला दिन था। भीगी-भीगी सी सुबह, हवा में मिट्टी की खुशबू थी।आरोही अपनी किताबें सीने से लगाए, नए चेहरे, नए माहौल को देखती हुई कैंपस में दाख़िल हुई।दिल में हल्की सी घबराहट, और आँखों में अनगिनत सपने।क्लासरूम में जगह ढूँढ़ते हुए वो पीछे की सीट पर बैठ गई। तभी एक आवाज़ आई —“Excuse me, ये सीट खाली है?”उसने पलटकर देखा — एक लंबा, सादा-सा पर बहुत आकर्षक चेहरा।सफेद शर्ट, हल्की मुस्कान और आँखों में कुछ ऐसा जो दिल को छू जाए।“हाँ, बैठ सकते हो,” आरोही ने धीरे से कहा।“Thanks. वैसे मैं आयान,” उसने हाथ बढ़ाया।आरोही ने हल्का सा