अध्याय 2 – 700 साल पुरानी हवेलीसुबह के 4:05 AM हो चुके थे।मुंबई की नमी भरी हवा में अविन की पुरानी, काली Padmini Premier 'Padmini' धीरे से चॉल के बाहर खामोश हो गई। आज की रात बाकी रातों से जुदा थी। छह पैसेंजर... चार इंसान, और बाक़ी दो वो, जो अदृश्य थे— और उन अदृश्यों का एक अविश्वसनीय 'इनाम'। यह सब अब अविन के लिए 'नॉर्मल' हो चुका था, एक भयानक दिनचर्या। उसके रूममेट्स मोहन और सतीश को इसका ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि उनके दोस्त की रोज़ी-रोटी 'असामान्य' पर टिकी है।अविन ने गेट खोलकर कमरे में कदम रखा