बेजुबान इश्क - 2

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बेजुबान इश्क  रोमांटिकअगले दिन सुबह 8:22 की लोकल हमेशा की तरह आई…भीड़ वही, स्टेशन वही, पर इंतज़ार अलग था।आदित्य खड़ा था—नजर बार-बार प्लेटफॉर्म पर दौड़ती।और फिर अन्या आई…धीरे-धीरे चलते हुए, आँखों में हल्की सी थकान,लेकिन होंठों पर हल्की मुस्कान।आदित्य ने चैन की सांस ली।दोनों बिना बोले एक-दूसरे के पास खड़े हो गए।कुछ देर की खामोशी के बादअन्या ने ही बात शुरू की—“आदित्य… क्या तुम आज मेरे साथ अगला स्टेशन चलोगे?थोड़ी दूर… थोड़ी बात?”आदित्य ने बस सिर हिलाया—“जहाँ तुम कहो।”---स्टेशन के बाहर एक शांत बगीचा था…दोनों एक बेंच पर बैठ गए।पत्तों में से आती हल्की धूप चेहरे पर पड़