एपिसोड 1 — “कैलाश से कलियुग तक ---कैलाश पर्वत पर हल्की धूप तिरछी पड़ रही थी। चारों तरफ़ बर्फ़ जैसे दूध के सफ़ेद फाहे… और हवा में “ॐ नमः शिवाय” का शांत कंपन।उसी दिव्यता के बीच खड़ी थीं — अशोक सुंदरी, भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री।वो शांत थीं… पर मन में उतावलापन छिपा नहीं पा रही थीं।--- अशोक सुंदरी का निर्णयअशोक सुंदरी धीरे से बोलीं—“पिताजी… मैं पृथ्वी पर जाना चाहती हूँ।कलियुग को समझना है।पहले ब्राह्मण का जीवन, फिर इंसान का जीवन…तभी जान पाऊँगी कि वहाँ धर्म और पाप कैसे बदल गए हैं।”भोलेनाथ ने गहरी सांस ली।उनकी आवाज़ हमेशा की