अमृत कन्या प्यार की नयी कहानी

स्वर्ण लोक.जैसा की नाम में हीं स्वर्ण है पर स्वर्ण नहीं सुनहरी आभा है यहां. जहाँ सब तरफ खुशियों का सराबोर है. सात्विक ऊर्जा पुरे स्वर्ण लोक को शोभाएमान बनाती है. रिषि मुनि इसी सात्विक ऊर्जा के कारण यहां पर अपनी तपस्या करते थे. लेकिन अब यहां सब वीरान हो गया. खुशियों ने जैसे यहां से मुँह मोड लिया रिषियों ने अपनी तपो भूमि छोड दी. अमृत कन्या के स्वर्ण लोक निष्कान के बाद यहां की ऊर्जा खत्म हो गई.मैं तुम्हे स्वर्ण लोक से निष्कासित करती हूँ.एक काली परछाई दूर खडी स्वर्ण लोक में हो रही उथल पुथल को देखकर