में और मेरे अहसास - 139

तलाश रूह को शांति दे सके वो मंज़र तलाश कर l सिर्फ़ अपना कह सके वो घर तलाश कर ll   लालची और स्व केन्द्रित लोगों की भीड़ में l इन्सां को तराशे वही पत्थर तलाश कर ll   न जाने क़ायनात में कहां छुपा हुआ है तो l साहिल पाने को सात समुंदर तलाश कर ll   लाख कोशिस के बाद भी मंज़िल न मिले l बिना उम्मीद को छोड़े मुक़द्दर तलाश कर ll   बाहिर का युध्ध जीतने से क्या हासिल कि l खुद से लड़ने के लिए लश्कर तलाश कर ll १६-६-२०२५  नई कलम नया कलाम नई