भर दो प्यार वतन में' गीत संग्रह - पुस्तक समीक्षा

पुस्तक समीक्षा कुहासे को चीरता गीत संग्रह 'भर दो प्यार वतन में' ********************************       मेरा मानना है कि मानव भाषा विकास के साथ ही गीत का जन्म हुआ होगा। गीत संप्रेषण की वह विधा है जो मानव मस्तिष्क में उपजे भावों को गेयता की परिधि में रखकर या फिर यूँ कह लें कि स्वर संवाद श्रृंखला में पिरोकर किसी अन्य तक पहुँचाने का उचित एवं प्रभावी तथा हृदयगम्य माध्यम है। गीत के जन्म का कोई सही समय साहित्य के क्षेत्र में निश्चित नहीं किया गया, किन्तु गीत मानव अभिव्यक्ति होने के कारण मानव भाषा विकास के साथ ही माना जाना उचित