कबीर ने धीरे कहा, “अंकल… अब कुछ मत कहिए। अब आपकी नहीं — उनकी बारी है।”सलीम के होंठ काँपे, “नैना… उसे बचा लेना, बेटा। जो मैंने खोया, वो तुम मत खो देना।”नैना ने हाथ कसकर थाम लिया, “पापा, आप मुझसे कुछ नहीं छिपाएँगे अब। सच चाहे कितना भी गहरा हो, मैं अब पीछे नहीं हटूँगी।”बाहर हवा और तेज़ हो चुकी थी। टूटे शीशों से आती ठंडी हवा सबके चेहरों को छू रही थी, जैसे आने वाले तूफ़ान का संकेत दे रही हो। रहमान अब पुलिस के घेरे में था, लेकिन उसकी मुस्कान अब भी वहीं थी — न डर, न