खूबसूरत टकराव - 4

…साँसें थम-सी गईं।उसकी उँगलियाँ कबीर की हथेलियों में और कस गईं।“जीवन और मौत?” नैना की आवाज़ काँप रही थी।कबीर ने उसकी ओर देखा — उसकी आँखों में अब डर नहीं, बल्कि एक दृढ़ आग थी।“अगर खेल इतना बड़ा है,” उसने ठंडी आवाज़ में कहा, “तो मैं भी अब बच्चा नहीं खेलूँगा।”रुही और आदित्य आगे बढ़े।“कबीर, हम अकेले नहीं हैं,” आदित्य ने कहा, “जो भी ये कर रहा है, उसके पीछे एक पूरा जाल है। हमने CCTV फीड चेक की है — इस आदमी के पीछे और भी लोग हैं।”कबीर ने तेज़ी से उस छाया की ओर देखा।“अब बताओ,” उसने कहा,