कबीर उठा और बाहर गया।बरामदे में खून की एक बूंद टपकी हुई थी…और वहाँ पड़ा था — वही लिफ़ाफ़ा।उसने उठाया —अंदर लिखा था,“अब सिर्फ़ नैना नहीं… तुम भी मेरे खेल का हिस्सा हो।”कबीर ने मुट्ठी भींची।“आर्यन… अब खेल खत्म होगा।”---रात में, नैना कबीर के पास आई।“मैंने आज सपना देखा… आर्यन मुझे बुला रहा था।”कबीर ने उसे कसकर थाम लिया,“अब कोई तुम्हें छू नहीं पाएगा।”पर बाहर, हवा में जैसे कोई ठंडी हँसी गूँज उठी।पर्दे हिलने लगे, और मोमबत्ती बुझ गई।नैना ने कबीर को कसकर पकड़ लिया।“कबीर… क्या वो सच में यहाँ है?”कबीर ने बस एक बात कही —“अगर वो जिंदा है…