यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (13)

                  : : प्रकरण :: 13        हसमुख की वजह से सुहानी मुझ से दूर हो जायेगी. यह डर मुझे खाये जा रहा था.         मुझे गले तक खातिर थी, वह भी सुहानी के पास अपने पैर डबवायेगा.        वह चलती गाड़ी में चढ़ने वाला यात्री था. वह कुछ भी कर सकता था.       हसमुख आया उस के दूसरे दिन मैं बड़ी मा मुंबई आये थे.. दोनों शाम को हीं मेरे पुत्र को मिलने गये थे.       मैं एक दिन देर से आया था