यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (12)

                          : : प्रकरण : : 12       सुहानी के बारे में मैंने बहुत कुछ सुना था.       मुझे उस से कुछ लेना नहीं थी.       अब वह मेरी साली थी. उसे सन्मान देना मेरा कर्तव्य था. लेकिन नौकर ने उस को चुम्बन किया था. यह बात मुझे जती नहीं थी. शायद यह बात को उस की निजी जिंदगी से कुछ लेना देना था. उस का आजाद वर्तन हीं उस के लिये जिम्मेदार था.        मुझे घर के बिस्तर के सिवा रात को कहीं नींद