यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (9)

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                    : : प्रकरण : : 9       होली का त्यौहार था. सब लोग होली खेल रहे थे.  अनिश और सुहानी भी उस में शामिल थे. भाविका भी होली खेल रही थी. और मैं सब को देख रहा था.       मैं होली नहीं खेलता था. मैं दूर खड़ा था.       दूर कहीं ग्रामोफोन पर होली का गीत बज रहा था.        तन रंग लो मन रंग लो..        उस वक़्त सुहानी आकर मुझे रंग लगा गई थी, मेरे रोकने पर  भी.