यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (4)

                  : : प्रकरण : : 4        सर्वेश ने दूसरे दिन दोपहर को मेरा आंनद छिन लिया.        " कल तुमने अनन्या के साथ क्या किया था? "        मैंने केवल उस का दयान मेरी ओर खींचने के लिये ऐसा किया था. लेकिन उस ने क्या सोच लिया था?          मैंने उसे सवाल किया था.         " उस से तुम्हे क्या मतलब हैं? "         " तुम्हारा यहीं सवाल तुम्हारी बूरी नियत का प्रमाण पत्र हैं!! "