: : प्रकरण : : 4 सर्वेश ने दूसरे दिन दोपहर को मेरा आंनद छिन लिया. " कल तुमने अनन्या के साथ क्या किया था? " मैंने केवल उस का दयान मेरी ओर खींचने के लिये ऐसा किया था. लेकिन उस ने क्या सोच लिया था? मैंने उसे सवाल किया था. " उस से तुम्हे क्या मतलब हैं? " " तुम्हारा यहीं सवाल तुम्हारी बूरी नियत का प्रमाण पत्र हैं!! "