यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (3)

                      :: प्रकरण :: 3       खाना खाने के बाद हम लोग फ़िल्म' झनक झनक पायल बाजे ' देखने गये थे. वह उस दौर की क्लासिकल फ़िल्म थी. जो एक ही थियेटर में दो साल से अधिक चली थी जिस ने भारतीय नृत्यो का परिचय करवाया था.       यह फ़िल्म वी शांताराम ने बनाई थी. जिस में गोपी कृष्ण और संध्या ने काम किया था.       उस समय मुझे फ़िल्म और नाटक का भेद नहीं मालूम था.         मुझे ऐसा लगा था. मानो दो जिवंत