अर्जुन ने घर के हर कोने में अपनी बेटी की तलाश शुरू की। कमरे-कमरे, गलियाँ, पिछवाड़ा—सब जगह उसने अनाया की छोटी-छोटी चीज़ों के निशान खोजे। लेकिन हर कदम पर उसके सामने खालीपन ही था। अनाया की हँसी अब सिर्फ़ उसकी यादों में थी।रात के अंधेरे में भी अर्जुन ने हार नहीं मानी। उसने तय किया कि किसी भी कीमत पर वह अपनी बेटी को सुरक्षित वापस लाएगा। अर्जुन के मन में एक ठोस योजना बन गई थी। उसने सबसे पहले उन लोगों से संपर्क किया जिनका अनाया से कोई लेना-देना था। पड़ोसियों, रिश्तेदारों, स्कूल के अध्यापकों—किसी भी सुराग के लिए