शहर की रौशनी से भरी शाम थी। हर तरफ सजावट, घर के बाहर झालरें, ढोल की थाप और रिश्तेदारों की चहल-पहल।आयरा ने अपने मेहँदी लगे हाथों को देखते हुए मुस्कुराकर कहा,“लगता है इस बार असली जंग बारात और रिश्तेदारों की शरारतों से होगी।”अर्जुन ने उसके हाथ पकड़कर धीरे से कहा,“तो मैं तुम्हारा सिपाही बनकर हर रस्म निभाऊँगा, चाहे फेरे हों या चिढ़ाने वाले दोस्त।”सीमा पास खड़ी हँसते हुए बोली,“बारातियों की चिंता मत करो, मैं संभाल लूँगी। तुम दोनों बस मोहब्बत की जंग जीतना।”रात को मेहँदी की रस्म हुई। बगीचे में डीजे बज रहा था, लड़कियाँ डांस कर रही थीं और